इश्क की राह बड़ी अजीब होती है।
जिसे चाहो दिलो जान से
वही छोड़ कर चली जाती है।
लोग खामोखा इश्क को बदनाम करते हैं,
ये तो हैसियत देखकर मोहब्बत करते हैं।
कैसे बताऊं..?
इस दुनिया को इश्क-मोहब्बत करना गुनाह नहीं है।
अगर गुनाह होता तो क्यों करते हीर-रांझा
एक दूसरे से इतनी बेइंतहा मोहब्बत..?
मोहब्बत की राह में अगर गुनाह है तो किसी की हैसियत,
धर्म और जाति देख कर इश्क करना है।
सुनो कुछ मोहब्बत की राह में चलते हैं और
कुछ उस राह को बदनाम कर कर लौट चले आते हैं।
इश्क मोहब्बत की राह एक अलग ही पहेली है,
जो हर किसी को समझ नहीं आती...
जो हर किसी को महसूस नहीं होती...
जो हर किसी से नहीं की जा सकती...
इश्क मोहब्बत की राहों में चलने के लिए
जलना और तड़पना पड़ता है,
बेइंतहा मोहब्बत करनी पड़ती है और
एक दूसरे पर भरोसा रखना पड़ता है...
तभी इश्क की राह पर चलना संभव है।
इश्क की राह बड़ी अजीब होती है।
दीप 'मदिरा'
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