साहित्य चक्र

21 March 2021

स्वरोजगार की दिशा में अल्मो़ड़ा के कमल पांडे

स्वरोजगार की दिशा में एक कदम मशरूम के साथ को अल्मोड़ा के युवा कमल पांडे ने पपरशैली में मशरूम यूनिट में अपनी मेहनत से साबित कर दिखाया है। कोरोना काल ने   लोगों में भय, निराशा का वातावरण तैयार किया वहीं कई युवाओं को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। युवा पहाड़ वापस आए और कुछ यहीं पर अपनी नई सोच के साथ नया करने में लग गए। इन्हीं में से एक नाम है कमल पांडे का मूलतः अल्मोड़ा निवासी कमल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अल्मोड़ा से प्राप्त की उसके बाद दिल्ली से शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत वह आईटी सेक्टर में इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं । इसके साथ ही वह संगीत व की भी उपाधि प्राप्त कर चुके हैं।




कमल बताते हैं कि वर्क फॉर होम की कार्यप्रणाली से सुबह 6:00 से 4:00 तक का समय आईटी सेक्टर के कार्य में लगाते हैं उसके बाद का समय मशरूम की खेती को देते हुए  यहां पर रोजगार से तरीकों पर कार्य कर रहे हैं। कमल की मेहनत से प्रभावित होकर कई युवा उनकी  मशरूम  यूनिट को देखने आ रहे हैं। कमल ने ज्योलीकोट,  नैनीताल से मशरूम फार्मिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया और अपने पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत अल्मोड़ा से की। कमल बताते हैं कि वह जल्दी ही ग्रामीण महिलाओं को मशरूम की खेती के लिए प्रेरित करने के लिए कार्यशाला का आयोजन करने जा रहे हैं। उनका मानना है कि मशरूम आज एक अच्छा रोजगार का माध्यम साबित हो सकता है  ब्रह्मकुमारी आध्यात्मिक संस्था से जुड़े कमल ने अपने मशरूम का नाम बाबा मशरुम रखा है।

कमल ने बताया कि आने वाले समय में जल्द ही  मोहन उप्रेती लोक संस्कृति कला एवं विज्ञान शोध समिति के संयुक्त तत्वाधान में मशरूम ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू करने जा रहे हैं जिसमें महिलाओं को ट्रेंड किया जाएगा। कई युवा उनके काम से प्रभावित होकर उनसे जुड़े हुए हैं कमल पांडे से प्रशिक्षण प्राप्त कर युवा चित्रकार नमिता टम्टा एक सहयोगी के रूप में कार्य कर रही है। कमल पांडे का मानना है के मशरूम की खेती जैसे प्रयासों से उत्तराखंड की पलायन की समस्या को काफी हद तक सुलझाया जा सकता है।


1 comment: