साहित्य चक्र

07 March 2021

एक मर्द हूं


हां मैं एक मर्द हूं।
मेरी नजर में स्त्री और मर्द बराबर है।

स्त्री के बिना मर्द अधूरा है।
मर्द के बिना स्त्री अधूरी है।

हमें इस बात का घमंड नहीं होना चाहिए,
कि हम मर्द और आप स्त्री हैं।

मानव समाज हम दोनों से मिलकर बनता है।
मत करो मर्द-स्त्री में भेद
तभी सुखी होगा यह हमारा देश।

तोड़ दो उन बेड़ियों को जो इंसान में
स्त्री-पुरुष का भेदभाव करें।

हां मैं एक मर्द हूं।

दीप 'मदिरा'


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