30 November 2024
नदी और मैं
29 November 2024
मुझे गाना नहीं आता
गाना नहीं आता मुझे
नहीं गाना भी नहीं आता
यह बात
लगभग हर बात के बारे में है -
जैसे कि नेल पेंट लगाना नहीं आता मुझे
नहीं लगाना भी नहीं आता
पढ़ाना नहीं आता मुझे
नहीं पढ़ाना भी नहीं आता
कविता लिखना नहीं आता मुझे
नहीं लिखना भी नहीं आता
जीवन में जो कुछ सम्भव हुआ
वह हुआ उस सम्भावना की तरह
जो नहीं आने और नहीं आने के बीच खुलती है
एक द्वार की तरह
जैसे पानी के मौन और धूप की मुखरता के
ऐन बीचोंबीच खिलता है
एक कमल
ठीक से प्यार करना नहीं आता मुझे
नहीं प्यार करना भी नहीं आता
मेरे स्वप्नों की धूप में रखी हैं पानी की कविताएँ
छाती में सहस्त्रदल खिलते हैं !
- बाबुषा कोहली
बुआ-भतीजी
28 November 2024
कविता- प्रेम
27 November 2024
जब तुम याद आते हो
तुम बनो सौभाग्य मेरा
स्नेहिल पवित्र
26 November 2024
कविता- आदमी
25 November 2024
जीवन का पाठ
ख़ुशियाँ वही बसती हैं
खुद को सशक्त कीजिए
हंसी और आंसुओं की अनकही कहानीः विदाई के पल
नया सूरज, नई ज़िंदगी, और एक नई शुरुआत। शादी के अगले दिन का माहौल ससुराल में हलचल भरा था। सुबह से ही घर में रस्मों की तैयारी चल रही थी। लड़की के मायके वाले – माता-पिता और रिश्तेदार – बेटी के ससुराल पहली बार आ रहे थे, एक रसम निभाने। हल्का-सा संकोच, हल्की-सी बेचैनी, और ढेर सारी उम्मीदें लेकर वे घर में दाखिल हुए।
- विकास बिश्नोई