बुआ होती है
बच्चों की जान
जब तक वो
कुंवारी होती है
मां से ज्यादा वो
करीब होती है
हम सीखते है
कैसे संवारते है
अपने आपको
और बुआ
हम में जीती है
अपना बचपन
बुआ की
भतीजी के
साथ जोड़ी
जैसे हल्दी
के साथ रोली
बुआ बोले मेरी
भतीजी सुंदर
भतीजी बोले
मेरी बुआ तू सुंदर
मिलती है
छबि तेरी मेरी
एक मिट्टी से
जैसे प्रतिमा हो गढ़ी
एक उम्र के बाद
बन जाती है
दोनों सखियों सी
बात करे अपनी
पुरानी गलियों की
दुनिया भी कहे
निराली है
इनकी जोड़ी
बूझो तो जाने
कौन बुआ कौन भतीजी
- डॉ विनीता श्री
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