रोज़ होतीं वबाल की बातें
रंज़ की हैं मलाल की बातें
आज ख़तरे में है ज़मीं सारी
कीजिए मत क़िताल की बातें
आ गया फिर बहार का मौसम
हुस्न की हों जमाल की बातें
उसको सब ताकते हैं हैरत से
जिसकी होतीं कमाल की बातें
बह रही है विकास की गंगा
अब न कीजै जवाल की बातें
- हमीद कानपुरी
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