साहित्य चक्र

20 November 2024

भारतीय दर्शनशास्त्र का महत्वपूर्ण दर्शन!



चार्वाक दर्शन भारतीय दर्शनशास्त्र का एक महत्वपूर्ण और प्राचीन दर्शन माना जाता है। इसे लोकायत और भौतिकवाद भी कहा जाता है। यह दर्शन एक नास्तिक दृष्टिकोण को अपनाता है। हिंदू वेदों और धार्मिक मान्यताओं को नकारता है। चार्वाक दर्शन का नाम उसके प्रवर्तक चार्वाक से लिया गया है, हालांकि चार्वाक के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। इसलिए चार्वाक को लेकर विभिन्न मत सामने आते हैं। 

चार्वाक दर्शन पूर्ण रूप से भौतिकवादी माना जाता है। चार्वाक के अनुसार केवल भौतिक पदार्थ ही वास्तविक है और इस संसार का अस्तित्व भौतिक पदार्थों से ही जुड़ा हुआ है। आत्मा, परलोक और अलौकिक अस्तित्व यानी ईश्वर, अल्लाह, गॉड आदि नाम की कोई शक्ति नहीं है। चार्वाक दर्शन मानता है कि ज्ञान का मुख्य स्रोत केवल इंद्रियाँ हैं। हम जिन्हें देख, सुन और महसूस कर सकते हैं, वही सत्य है। बाकी अलौकिक अनुभव सिर्फ एक भ्रम या डर है। 

चार्वाक दर्शन कहता है कि धार्मिक अनुष्ठान और कर्मकांड केवल समाज में नियंत्रण और डर उत्पन्न करने के उपाय हैं। किसी भी धर्म या ईश्वर में विश्वास करने का कोई आधार नहीं है, क्योंकि धार्मिकता केवल अंधविश्वास और निरर्थकता पर टिकी हुई है। धार्मिक व्यक्ति गलत काम करने के बाद ईश्वर से क्षमा मांग कर दोबारा गलत काम करते हैं। 

अगर ईश्वर है तो फिर धार्मिक ग्रंथों में गलत चीजों से बचने के लिए क्यों कहा गया है, जबकि सही-गलत का नज़रिया सबके लिए अलग-अलग हो सकते है। इसके अलावा जब सब कुछ ईश्वर कर रहा है या ईश्वर के बिना पत्ता भी नहीं हिलता है तो फिर सही और गलत की परिभाषा ही खत्म हो जाती है। 

मनुष्य का जीवन और शरीर एक भौतिक संरचना है, जिसका मृत्यु के बाद कोई अस्तित्व नहीं रहता है। मृत्यु के बाद केवल शरीर का विघटन होता है और आत्मा का कोई अस्तित्व नहीं है। हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य सुखों का भोग करना है। सुख पाने के लिए धार्मिक और आत्मिक सिद्धांत की आवश्यकता नहीं होती है। चार्वाक का प्रमुख सिद्धांत है- “यावज्जीवेत सुखं जीवैत” यानी जब तक जीवित हो, आनंद का अनुभव करो। 

चार्वाक दर्शन भूतकाल और भविष्य काल को नकारता है और वर्तमान जीवन को सार्थक मानता है यानी जीवन यथार्थवादी है। मानव समाज में हमेशा से व्यक्तिगत सुख और भौतिक समृद्धि को महत्व दिया जाता रहा है। आज हर इंसान व्यक्तिगत सुख और भौतिक समृद्धि के लिए मेहनत कर रहा है। यही नहीं बल्कि धर्म से जुड़े लोग भी भौतिक समृद्धि से अछूते नहीं रहे हैं। 

चार्वाक दर्शन भारत के अन्य दर्शनों से अलग है। यह दर्शन भौतिकवाद, नास्तिकता और तात्कालिक सुखों पर आधारित है। इस दर्शन की खूब आलोचना होती है, मगर यह दर्शन भारतीय दर्शन में एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। इसलिए अन्य दर्शनों के मुकाबले चार्वाक दर्शन की चर्चा ज्यादा होती है। हमारा आज का जीवन चक्र अन्य दर्शनों के मुकाबले चार्वाक दर्शन की ओर अधिक झुका दिखाई देता है।


                                               - दीपक कोहली



#विश्वदर्शनदिवस #दार्शनिक #चार्वाक #भारतीयदर्शन #WorldPhilosophyDay

No comments:

Post a Comment