साहित्य चक्र

01 November 2024

कविता- दीप



दीप जलते नहीं 
जलाए जाते है।
मोहब्बत की नहीं
निभाई जाती है।

खुशियां आती नहीं 
लाई जाती है।
अपने बनते नहीं
 बनाए जाते है।

कर्म दिखाए नहीं
किए जाते है।
हमसफर दिखाया नहीं 
बनाया जाते है।

सत्य समझाया नहीं 
समझा जाता है। 
श्री राम बनाए नहीं 
कर्मो से बना जाता है।


                                  - डॉ.राजीव डोगरा


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