साहित्य चक्र

23 November 2024

शानदार ग़ज़ल पढ़िए





दिल कभी भी  दुखा नहीं होता।
गर  सनम  बे  वफा नहीं  होता।

हौसला  जो  रखा  नहीं   होता।
फिर किसीका भला नहीं होता।

चाहता  हूँ   उसे  दिलो  जां  से,
कहने  का  हौसला  नहीं होता।

छाछ पीता न फूँककर हरगिज़,
दूध  से  गर  जला  नहीं  होता।

बोलता  है  हमीद  वो  जी भर,
जिसकोकुछभी पतानहींहोता।


                             - हमीद कानपुरी

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