दिल की गहराई में
जब कोई उतर जाता है।
सच कहता हूँ मैं जीने का
अंदाज़ बदल जाता है।
मेरे सरकार मेरे हमनवा
कुछ नवाजिश तो करो।
सर्द मौसम है ये और तन्हाई
ऐसे हालात में तो हर कोई घर
अपने वापस ही चला आता है।
मैं मुसवविर मेरे साथ ये ही
तो बड़ी उलझन है।
तस्वीर कोई भी बनाऊँ,
अक्स तेरा ही उभर आता है।
हर शख्स यहाँ ईमाँ की
तिजारत पर तुला है।
जहाँ देखिए वहाँ पर 'मुश्ताक़'
तोहफ़ा रिश्वत का ही
नज़र आता है।
- डॉ. मुश्ताक़ अहमद
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