साहित्य चक्र

13 June 2020

प्रकृति के कोप से बचना है


विश्व पर्यावरण दिवस आया है, यह संदेशा लाया है, 
बसुंधरा को बचाना है तो पर्यावरण को बचाना है, 

धरती माता के छाती के घावों को मरहम लगाना है, 
जीव, जंगल, जमीन बचाना है तो हरियाली लाना है, 

प्रकृति के कोप से बचना है तो पर्यावरण संतुलन लाना है, 
नदियों को स्वच्छ कलकल निनादनी सरिता बनाना है, 

अब हमने ये ठाना है कि धरती को शस्यश्यामलाम् बनाना है, 
वायु के जहरीले रसायन को मिटाना है तो धरती मित्र बनना है, 

मिट्टी की ऊर्वरा शक्ति लौटाना होगा, हरित क्रान्ति लाना है, 
विश्व पर्यावरण दिवस पर हम सभी को यह शपथ खाना है.


                            डॉ कन्हैया लाल गुप्त किशन


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