वृक्ष हरे भरे हैं
फूल और फलों से लदे,
झूम रहें हैं
आषाढ़ में,
बारिश की बूँदों से सनी हवा
हल्की सी धूप
अंगीकार हो रहे हैं
वृक्षों पर,
भभूत बन धूप
चमक रहे हैं
हर पत्तों पर,
आलोड़न कर रही
बारिश की बूँदे
मध्य प्रहर में,
कामदेव रति सा
हवा संग खेल रही हैं
नव पुष्पों पर,
अमरत्व प्रेम को
चख रहे हैं वृक्ष
आषाढ़ में,
झूम रहें हैं वृक्ष
अलौकिक प्रेम का
रसपान कर
आषाढ़ में।
अंशु आँचल सिंह
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