साहित्य चक्र

14 June 2020

जिंदगी की डांट खा के देख.....


जिंदगी की डांट खा के देख,
जीवन संवर जाएगा।

गरिबों को भोजन करा के देख,
दुआओं की बौछार पाएगा।

बच्चों-बुजुर्गों को हंसाकर देख,
गम नजर ना आएगा।

खुद से प्यार करके देख,
रिश्तें निभाना सिख जाएगा।

सब से मीठा बोल के देख,
हर जुबां पर मिठास पाएगा।

भगवान् में विश्वास करके देख,
दौलत शोहरत का मोह नहीं सताएगा।

खुद से खुद ही बात करके देख,
हर रोज गुनगुनाएगा।

जीवन में ठोकर खा के देख,
राह बनाना सीख जायेगा।

देशहित में कदम उठा के देख,
मिसाल बन जाएगा।

जिंदगी की डांट खा के देख....


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