साहित्य चक्र

01 June 2020

तुझे चलना है




तुझे चलना है 
निरन्तर चलते ही जाना है 
बूंद-बूंद रक्त बह रहा सड़कों पर 
पांव तेरे हुए घायल 
सूजे और बने फफोले 
हो रहे शिथिल 
पर तुझे चलना है 
चलते ही जाना है |


तू भारत भाग्य विधाता 
लेकिन कहलाया मजदूर 
और आज हुआ मजबूर 
तेरे चेहरे की उदासी देख 
मानवता कर रही चीत्कार 
पर तेरी पीड़ा को समझ सका न संसद 
तेरी असीम शक्ति - साहस को 
कोटि-कोटि नमन है |

तुझे चलना है 
स्वजनों से मिलना है 
मन में बल भरना है 
भले हो जाये तन की शक्ति क्षीण 
तुझे हौसला जिंदा रखना है 
तुझे चलना है 
निरन्तर चलना है... |


                                             - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 


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