साहित्य चक्र

01 June 2020

अग्रदूत



अनहद नाद  का दूत हूं मैं,
मेरा किसी से
कोई रिश्ता नाता नहीं ,
मैं केवल सत्य
और सच्चाई का दूत हूं,
जब-जब धर्म की हानि होती है ,
तब तब मैं पृथ्वी पर
अवतरित होता हूं ,
कभी मैं राम बनकर
रावण का वध करता हूं ,
तो कभी कृष्ण बनकर
कंस जैसे अत्याचारियों का दमन करता हूं,
कभी मैं मीरा बनकर
भक्ति रस में खो जाता हूं,
तो कभी मैं नानक बनकर
जगत में मानवता का संदेश देता हूं ,
तो कभी मैं गोविंद सिंह बनकर
शत्रुओं को खुदेड़ता हूं ,
तो कभी अल्लाह का बंदा बन कर
अल्लाई नूर बांटता हूं ,
फिर भी इस बुद्धिजीवी युग के लोग
मुझे मिथ कहते हैं,
मैं मिथ नही,
केवल मैं ही सत्य हूं ,
और मैं ही सत्य रहूंगा


                                 अमित डोगरा, पी.एच डी शोधकर्ता


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