साहित्य चक्र

05 June 2020

धरा, आकाश, अग्नि, जल और समीर

“पर्यावरण संरक्षण”



पंच तत्वों से बना यह हमारा शरीर,
धरा, आकाश, अग्नि, जल और समीर।
पूरा पर्यावरण है समाहित हम में,
क्यों न हम सुरक्षित रखें इसे फिर।।

यह सांसे तब तक ही चलेगी हमारी,
जब तक पर्यावरण में वायु शुद्ध बहुतेरी।
जल बिन जीवन कभी चल न सकेगा,
बचाना है जल को बहुत जरूरी।।

पेड़ पौधों का संरक्षण भी हमको करना है,
होगी तब बारिश, धरा को सिंचित करना है।
फसलें लहलहाएगी फिर खेतों में हमारे,
चारों ओर हमें हरियाली को भरना है।।

होगा मनभावन दृश्य हर ओर तब,
करेंगे कलरव पशु पक्षी अनोखे जब।
सुरक्षा इनकी करना भी हमारा कर्तव्य है,
फिर भी करते बर्बरता भूल जाते हम सब।।

हम चाहते हैं धरा पर जीवन बना रहे,
तो पर्यावरण संरक्षण हमारा ध्येय रहे।।
रखें सुरक्षित यह जंगल यह पशु-पक्षी,
स्वच्छ वायु, जल भी संचित बना रहे।।

                                     कला भारद्वाज


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