ओ सखी..!
मैं स्वयं से डरती हूं।
पल पल आगे बढ़ती हूं।
बिन बुलाए अपनों से लड़ती हूं
और प्रतिदिन नृत्य करती हूं।
ओ सखी..!
मैं स्वयं से डरती हूं।
लाखों दर्द सह कर उभरती हूं।
फिर भी कई ताने रोज सहती हूं।
ओ सखी..!
आज मैं तुमसे अपनी कहानी कहती हूं
और नित्य प्रण करती हूं।
मैं स्वयं से डरती हूं।
@दीपक_कोहली 'पागल'
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