दश ग्राम का चेहरा लेकर, एक ग्राम की नाक,
हिंद के बीस शेर मारकर छेड़ दिया संग्राम।
अभी वक्त है हांथ जोड़ ले वरना मिट जायेगा,
मान गया तो ठीक नहीं, धरणी से मिट जायेगा।।
चपटी नाक लिये फिरता है थबरे भर का प्राणी है,
बौने तुमने दुस्साहस की परिणाम सुखद ना पायेगा।
हांथों में हथियार आधुनिक जिगरा सवा किलो का है,
एक के बदले दश चीनी धरती में गाड़ा जायेगा।।
अहंकार अब हुआ तो सुन ले चीनी धोखेबाज,
गर्जन से मिटने वाला तू पैरों से कुचला जायेगा।
गलती कर दी, गलती कर दी, हद में ही था रहना,
भड़क उठी क्रोध की ज्वाला इसमें तू जल जायेगा।।
प्रदीप कुमार तिवारी
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