साहित्य चक्र

17 May 2019

गजब है सहने की क्षमता

मां की ममता

है स्नेह अगाध से भरा हृदय 
गजब है सहने की क्षमता
एक ओर दुनिया सारी 
एक ओर है मां की ममता
है मां दुनिया में परमेश्वर की
कृति सबसे प्यारी 
सब रिश्तों में सब नातों में
मां ही सबसे न्यारी 
मां की महिमा क्या बतलाउं
बस इतना कहता हूं
 दुनिया है कांटों का जंगल
मां खुशियों की फुलवारी
चाहे कुछ हो दिल से उसके
प्रेम नहीं है कमता
एक ओर दुनिया सारी 
एक ओर है मां की ममता
राहों से कांटें चुन चुन के
स्नेह सुमन बो देती
मां ही है जो बच्चों के 
दु:ख में है रो देती
त्याग शब्द भी है फीका
मां के त्याग के आगे
मां तो मां बनने की खातिर
सुंदरता है खो देती
बच्चों को छोड़कर और कहीं न
मन मां का है रमता
एक ओर दुनिया सारी 
एक ओर है मां की ममता
है स्नेह अगाध से भरा हृदय 
गजब है सहने की क्षमता
एक ओर दुनिया सारी 
एक ओर है मां की ममता

                                                      विक्रम कुमार


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