साहित्य चक्र

27 May 2019

विदेशी नागरिक क्यों नहीं लड़ सकता है चुनाव ?


अगर भारतीय मूल की नारी विदेशों में चुनाव लड़ सकती है, तो क्या भारत में कोई विदेश महिला चुनाव नहीं लड़ सकती..?

मेरे इस सवाल से आप थोड़ा हैरान तो जरूर होगें, क्योंकि सवाल ही कुछ ऐसा है। हम बहुत खुश होते हैं, जब हमारे देश की कोई महिला विदेशों में चुनाव लड़ती हैं या फिर किसी बड़े पद पर विराजमान होती हैं। हमारे न्यूज चैनल भी इन खबरों को बड़े ही शान से दिखाते हैं, और पूरे देश को गर्व महसूस करते हैं। जो हमारे देशवासी इस गर्व की बात को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं। थोड़ा सोचिए..! कोई विदेशी महिला हमारे देश के ऊंचे पद पर क्यों नहीं बैठती हैं। क्या हमारे देश का कानून ऐसा है या फिर हमारा देश इसे स्वीकार नहीं कर सकता। कई सवाल मन में पैदा होते हैं। आखिर क्यों हमारे देश में कोई विदेश महिला चुनाव नहीं लड़ सकती। अगर लड़ती भी हैं, तो क्यों उसे भारतीय नागरिक स्वीकार नहीं करते हैं ? 

क्या कोई विदेशी हमारे देश की राजनीति और ऊंचे पद पर विराजमान नहीं हो सकता ? वैसे शायद आप ने पहले कभी ऐसा सोचा ही नहीं होगा। मेरा यह सवाल आपको सोचना पर मजबूर जरूर कर रहा होगा। क्या हमारा देश विदेशी लोगों को ऊंचे पदों पर स्वीकार नहीं करता या फिर हमारे देश के ऊंचे पदों पर कोई विदेशी बैठना ही नहीं चाहता। एक बात तो जरूर है। यह सवाल हमारे देश के लिए बेहद खास और महत्वपूर्ण है। इस सवाल से हमें अपनी देश की कई नीतियों और नियमों के बारे में पाता चलता हैं। जब से हमारा देश आजाद हुआ है, तब से हमारे देश के ऊंचे पदों पर कोई विदेशी नहीं बैठा है। इसे चाहे आप हमारे देश का मजबूत कानून समझे या फिर हमारे देश की मजबूरी। इतना जरूर कह सकते है कि हमारे देश के ऊंचे पद पर विदेश नागरिक बहुत ही कम बैठते है या बैठते ही नहीं हैं। मगर किसी दूसरे देश में हमारे देश का कोई नागरिक किसी पद पर बैठता है, तो हमारे देश में उसे गर्व की बात मान कर उस व्यक्ति को बढ़े सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है।

इतना ही नहीं बल्कि दूसरे देश में नौकरी करने या मिलने को भी हमारे देश में बहुत बड़ी बात समझी जाती है। चाहे नौकरी किसी भी पद पर ही क्यों ना हो। इन बातों से दुख होता है, आखिर हम अपने देश को उस लायक नहीं बना पाएं है, जिस लायक हमारे पूर्वजों और स्वतंत्रता सेनानियों ने इसे बनाने का सपना देखा था। आजादी के 70 साल बाद भी देश की शिक्षा व्यवस्था शून्य है। देश के युवा शिक्षा के लिए विदेशों की ओर भाग रहे है। जो हमारे देश के लिए सबसे बड़ी चिंता का सबक हो सकता है। इन विषयों को कोई भी सरकार या राजनीतिक पार्टियां नहीं समझ पा रही है। हमें इन सभी विषयों पर मंथन करना होगा और सोचना होगा आखिर हमारे देश की व्यवस्था कैसे सही होगी। जिससे देश का युवा देश के लिए काम करें। 

                                                           ।।संपादन- दीपक कोहली।।


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