साहित्य चक्र

05 May 2019

ले लिए हमारे वोट


ले लिए हमारे वोट, अब छाप रहे हैं नोट
दे गए दिल पर चोट, बेईमान नेताजी
चुनाव से पहले गलियों में गुंडों संग घूमा करते थे
वोट की खातिर हर वोटर के चौखट चूमा करते थे

ये करुंगा वो करूंगा वादे करते फिरते थे
मुझे जिता दो मुझे जिता दो फरियादें करते फिरते थे
अब जीत गए तो जाने कैसे मन में आया खोट
दे गए दिल पर चोट, बेईमान नेताजी

बच्चों को खिलौने दूंगा बुजुर्गों को बुढ़ापे की लाठी
माताओं का मैं सच्चा बेटा युवा भाईयों का सहपाठी
बातें कई हजार बनाए जनता को रिश्तेदार बनाए
अब घूम रहे विदेशों में पहन के पैंट और कोट

दे गए दिल पर चोट, बेईमान नेताजी
पहले नेताजी नुक्कड़ पे जुआ खेलते रहते थे
दो चार पैसे की खातिर पापड़ बेलते रहते थे
नशा शराबी के संगम में जोश खरोश से बहते थे

अपने तारीफों के पुल खुद ही बांधते रहते थे
वोट देकर उस नेताजी को मन रहा है कचोट
दे गए दिल पर चोट, बेईमान नेताजी
पहले नेताजी रातों में सूखी रोटी खाते थे

पेड़ के नीचे सोते थे और लोटा लेकर जाते थे
अब नेताजी महल में रहते महंगी मदिरा पीते हैं
तरह तरह के भोजन करते राजा सा जीवन जीते हैं
नास्ते में लेते सेब संतरा काजू और अखरोट

दे गए दिल पर चोट, बेईमान नेताजी
बस नेताजी इतना करना कि घोटाला तुम मत करना
जनता के पैसों का गड़बड़झाला तुम मत करना
अपने चमचों की गुंडागर्दी हमलोगों पर न चलवाना

कालाधन के लिए स्वीस बैंक में खाता तुम न खुलवाना
वरना अगले चुनाव में जनता पहना देगी लंगोट
दे गए दिल पर चोट, बेईमान नेताजी

                                                   ।।विक्रम कुमार।।



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