साहित्य चक्र

05 May 2019

माँ तुमने मुझसे क्यों दामन छुड़ा लिया

बता माँ तू क्यों गई हार 
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माँ तुमने मुझसे क्यों दामन छुड़ा लिया 
जीवन देने से पहले मेरा जीवन मिटा दिया

बताओ तो सही क्या कसूर था मेरा
मैं कोई गैर तो न थी, खून थी तेरा

तेरे गर्भ में स्वप्न थे पाले सुन्दर-सुन्दर 
एक पल में हो गये सारे चकनाचूर

जन्म अगर मुझको तू दे देती 
बन कोयल तेरे आंगन में कूकती

माँ तू कैसे भूल गई, नारी सृष्टि का आधार 
बिन नारी के जग हो जायेगा बेकार

एक बार तो लड़लेती अपनों और परायों से 
मुझे बचा लेती असामाजिक हत्यारों से

मैं भी देख लेती तेरा संसार 
बता माँ तू क्यों गई हार...?


                                                  मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 


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