आ गया मौसम चुनाव का,
सब तरफ छाया है नशा चुनाव का,
देश के लिये लड़ने मरने को तैयार,
हर कोई अपने को साबित करने को तैयार।
उससे बड़ा देश भक्त कोई नहीं,
सब देश की कर रहे है चिंता,
पर चुनाव खत्म सब चिंता खत्म,
वादे भूल जाते है।
वादे किये ही जाते है भूलने के लिए,
पर जनता कितनी भोली है।
कर लेती है यकीन उन पर,
और हर बार मिलता है उसे धोखा।
बन जायेंगे राजा एक बार फिर,
और दे जायेंगे जनता को धोखा,
कोई वादा पूरा नहीं होगा।
हर कोई अपनी रोटियाँ सेकता है,
बस पिसती है तो जनता बेचारी,
क्या यही है राजनीति।।
गरिमा
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