याद
आज जिंदगी कुछ विराम सी लगती है
चांदनी रात भी काली स्याह सी दिखती है
हर पल तेरी है याद सताती
हर पल तुझे मैं हूं पुकारती
आज तेरे घर की दूरी भी आसमां से लगती है
आज हर कोई ना जाने क्यों अजनबी सी लगती है
जिंदगी से ना कोई शिकवा है ना शिकायत है
फिर भी ना जाने क्यों यह मुझसे खफा सी दिखती है
आज जिंदगी कुछ वीरान सी लगती है
चांदनी रात भी काली स्याह सी दिखती है
ना जाने क्यों अंजाना खौफ सा रहता है
तू ही बस मेरे ख्यालों में बस आता है
कहीं ये खौफ कभी मुजम ना हो जाए
तू कहीं तू मुझसे दूर ना हो जाए
यह दूरी जो अब मुझे काफी करीब लगती है
ना जाने क्यों कभी कभी अजनबी सी लगती है
तेरे ख्यालों से ही खोते जाते हैं हम
बस तेरे, तेरे ही साथ हर पल रहते हैं हम
दूर होकर भी तुझसे न जाने क्यों करीब होते हैं
आज भी वह मुझसे काफी नजदीक होते हैं
फिर भी ना जाने क्यों आज की रात विरान सी लगती है
चांदनी रात भी काली स्याह सी दिखती है
जो दे जाती है हवा झोंकों सा
वह भी "रश्मि' तेरे याद में बेकार सी लगती है
निक्की शर्मा रश्मि
No comments:
Post a Comment