यह
कहना कतई गलत नहीं होगा कि हमारी औरतें दासी से कम नहीं हैं। जी मैं यह कथन इसलिए
बोल रहा हूं, क्योंकि अभी तक मैंने हमारी औरतों तो दासी की तरह काम करते देखा हैं।
मैं देश की राजधानी दिल्ली और मेट्रो सिटी की बात नहीं कर रहा हूं। मैं बात कर रहा
हूं। गांव देहात क्षेत्रों की जहां आज भी औरत अपने मन पसंद कपड़े नहीं पहन सकती
है। वैसे भी भारतीय समाज और संस्कृति में औरत को पत्नी कम दासी या नौकर ज्यादा
समझा जाता है। यह मैं इस लिए कह रहा हूं। क्योंकि आज भी पढ़े-लिखे लड़के अपनी
पत्नी के साथ दासियों जैसा व्यवहार करते नजर आते हैं। जो हमारी औरतों का सरासर अपमान
हैं। आज पति के दुर्व्यवहार से लगभग हर दूसरी औरत पीड़ित हैं। जो यह बताता है कि
हमारे समाज में आज भी नारी की स्थिति सही नहीं है। आखिर कब तक हमारा समाज नारी या
औरत को दबाता रहेंगा।
आज
भी हमारे देश में आधे से भी ज्यादा लड़कियों की शादी नाबालिग उम्र में ही कर दी
जाती है। जो एक प्रकार से नारी पर जुर्म थोपना है। आज तक हमारी सरकारें भी नारी के लिए कुछ नहीं कर पाई है। नारी की स्थिति आज भी हमारे देश में बहुत ही खराब मानी गई है। यह
मैं नहीं बल्कि विश्व की सर्वे एजेंसियां कह रही हैं। जो हमारे भारतीय समाज के लिए
एक कलंक है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो वो दिन दूर नहीं जब हमारा समाज खतरे की ओर
अग्रसर हो जाएगा। हमें इस विषय पर गंभीरता से सोचना होगा कि आखिर हमारे समाज में
औरतों पर इतने जुर्म क्यों किए जाते हैं ? क्या हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है। या
फिर हम इसके मानसिक रोगी बन गए है। जिस प्रकार से हमारा देश विकास की ओर अग्रसर हो
रहा है, लेकिन उस प्रकार से हमारा समाज बिल्कुल भी नहीं बदल रहा है। हां इतना जरूर
है कि हमारे समाज ने अपनी संस्कृति को धीरे-धीरे त्यागना जरूर शुरू कर दिया है। औरतों के प्रति नजरिया आज भी वहीं है।
हमारा
समाज हर औरत को कमजोर और अबला दृष्टि से देखता है, जो बिल्कुल भी सही नहीं है।
हमारी औरतों पर जिस तरह से दिन पे दिन रेप, बलात्कार, शोषण जैसी घटनाएं हो रही
हैं। वह हमारी महिला समाज के लिए बेहद खतरनाक होता जा रहा है। इस विषय पर हमारी
औरतों को भी जागरूक होने की जरूरत है। उन्हें अपने ऊपर हो रहे अत्याचार को सहने के बजाय उसके
खिलाफ आवाज उठाकर लड़ना होगा। तभी नारी पर अत्याचार कम होंगे। आज हम 16वीं सदी में नहीं बल्कि
हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। आज हर इंसान स्वतंत्र है। उसे अपने तरीके से जीने का पूर्ण आधिकार हैं। वह अपनी मर्जी से जी सकता है। अगर यहीं अधिकार हमारी
औरतें और नारी शक्ति जान ले व समझ लें तो उनके ऊपर हो रहे अत्याचार कम ही नहीं बल्कि खत्म हो
जाएगें। हमें सिर्फ समझने और जागरूक होने की जरूरत हैं। हमें पुराने विचारों से
निकल कर नये विचारों की ओर अग्रसर होने की जरूरत है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज हम आधुनिक दुनिया में जी रहे है।
यहां
हर इंसान आजाद है। हमें अपनी मानसिक सोच बदलने की जरूरत है। सदियों से हम एक ही
विचारधारा में जीते आ रहे है। जो पुरुष प्रधान विचारधारा है। अब समय आ गया है। इस
विचारधारा को दूर फेंक कर एक नई विचारधारा में जीवन को जीने का...। आइए आज और अभी से ही शुरू करते है। उन पुराने विचारधाराओं को दूर फेंकने का काम और नयी विचारधारा को अपनाने की नई शुरुआत।
।।संपादन- दीपक कोहली।।
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