आखिर कौन हूँ मैं
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मैं कौन हूँ
आखिर कौन हूँ मैं!
इसी में उलझती रही हूँ
जब भी उठा है प्रश्न
मन के भीतर....!
जड़ हो या चेतन
मानव हो या पशु
स्त्री हो या पुरुष
सभी तो अंश हैं
उसी एक ईश्वर के,
तो मैं ईश्वर का अंश हूँ.....!!
सभी अंश है उसके,
किसी न किसी
विशेष निमित्त के
आयें हैं इस वसुधा पर,
जिस दिन
वह निमित्त
हो जायेगा पूर्ण
समाप्त हो जायेगी
मेरे इस “ मैं “ की यात्रा....!!!
जिसके अंश हैं
उसी में मिल कर
हो जायेंगे एकाकार,
तब किसलिए उलझें इस प्रश्न में
आखिर कौन हूँ मैं!
ईश्वर का अंश हूँ
केवल और केवल
यही जानती हूँ मैं!
डा० भारती वर्मा बौड़ाई
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