मौसम
मन मेरा इक मौसम सा है,
रँग बदलते हर मौसम सा है,
चँचल पवन है सरसराती,
अठखेलियां खेल ये छेड़ जाती,
प्रीत की ऊष्मा ह्रदय पिघलाती,
सुर्ख कोपल सी कभी शरमाती,
मेघों का यूँ घूँघट ओढ़े,
खुलते हों ज्यों नभ के झरोखे,
शीत लहर जब छूकर जाती,
सन्नाटों में ये शोर मचाती,
मदमाती करवट नदिया की,
याद ले आयी आज पिया की,
रूप ,अदा का रस बरसाती,
तन ,मन मेरा भिगोकर जाती,
मन मेरा इक मौसम सा है,
रँग बदलते हर मौसम सा है!
सीमा कपूर चोपड़ा
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