साहित्य चक्र

15 December 2024

कविता- भारत के लोगों




महान बने ये भारत अपना 
भारत के लोगों तुम सुन लो,
ताँता एक इस तरह बुन लो।

न  हिन्दू कहलाए कोई, न कोई मुसलमान,
भारतीय कहलाने में ही समझें सब अपनी शान।

               सभ्य हों, शिष्ट हों  सब जन,
               गंगा की तरह निर्मल हो सबके मन।

               अविरल वहे सबके हृदय में स्नेह बयार,
               शांति और समृधि की आये नित नई बहार।

जवान रहें सीमा पर सजग और सतर्क,
दंगे-फसादों से न बने देश अपना, नरक।

हर कोई निष्ठा से करे अपना-अपना काम,
आलस्य खाली हाथ रहे ,मेहनत को ही मिले इनाम।

                निस्वार्थ भाव से सेवा करें नेता, क्या अभिनेता,
                हृदय में बसे सबके बस पूजनीय भारत माता।

                हर भारत बासी की हो स्वच्छ ,सुन्दर छवि,
                है दमकता ज्यूँ  नील गगन में बेदाग रवि।

बार-बार इस धरा पर महापुरषों के हो अवतार,
आदर्श बन मानव जाति के लिए जो करें सबका उद्धार।

चारों ओर छाई रहे हरी-भरी हरियाली,
हर दिन हर घर में मनाई जाए रोज दिवाली।

                 बच्चा-बच्चा पाए रोटी ,स्वास्थ्य और शिक्षा ,
                 मजबूर रहे न कोई ,न माँगे कोई भिक्षा।

                 साकार हो जाए फिर शहीदों का वो चिरसंचित सपना,
                 पर्याय स्वर्ग का बन , महान बनें ये भारत देश अपना।


                                                          - लता कुमारी धीमान



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