साहित्य चक्र

11 September 2016

-कहां चले गए मेरे दादाजी-


ना जाने कहां चले गए मेरे दादाजी।
अब कौन देगा, मुझे जेब से टाॅफी,
और कौन बतलाएगा पुरानी बातें।।

ना जाने कहां चले गए मेरे दादाजी।
अब कौन करेगा मुझे प्यार और,
कौन बताएगा मेरी मन की बात।।

ना जाने कहां चले गए मेरे दादाजी।
अब किसे बोलूंगा अपनी दिल की बात,
और किस से सिखूंगा अच्छी आदत।।

ना जाने कहां चले गए मेरे दादाजी।
अब कौन देखा मुझे मेरा जेब खर्च,
और कैसे आइगें वो दिन वापस।।

ना जाने कहां चले गए मेरे दादाजी।।

                       कवि- दीपक कोहली

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