ये वक्त भी क्या है...?
आखिर क्या है ये वक्त
कहां से आया, किधर गया
ये वक्त आखिर क्या है...?
हर गम और हर खुशी
हर आंसू और हर हंसी
हर खुशबू और हर नगमा
इस वक्त में छिपा हैं।
आखिर क्या हैं ये वक्त...?
गुजरता है या थमता है
हकीकत है या झूठा है
नदियां है या समन्दर है
पहाड़िया है या वादियां है
आखिर क्या है ये वक्त..?
जख्म हो या दर्द
सदाएं हो या फजाएं
दिवार हो या दरिया
डाल हो या पेड़
आखिर क्या है ये वक्त..?
ये कब आया और
ये कहां से आया ।
ये किधर गया और
ये फिर आया ।।
आखिर क्या है ये वक्त..?
कवि- दीपक कुमार
No comments:
Post a Comment