साहित्य चक्र

14 November 2016

-मोती का लाल, देश का चाचा-

                        

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू जी को उनके जन्मदिन पर शत्-शत् नमन....। 14 नवंबर 1889 को संगम नगरी इलाहाबाद में मोती लाल नेहरू और स्वरुप रानी नेहरू के घर जन्म लिया। जूी हां.....चाचा नेहरू बचपन से ही तीव्र बुद्धी के व्यक्ति थे। नेहरू जी को धार्मिक रस्में खूब पंसद थी। चाहे हिंदू रीति-रिवाज हो या मुस्लिम धर्म के त्योहार उन्हें खूब भाते थे। लेकिन कभी ये आकर्षण उनके मन में विश्वास नहीं जगा सकी। चाचा जी का बचपन मुंशी मुबारक अली की देख-रेख में गुजरा। मुबारक अली उन दिनों उनके नौकर हुआ करते थे। जो चाचा नेहरू को रानीलक्ष्मीबाई व अनेक वारों के बारे में बाताया करते थे और अलिफलैला जैसी कथाएं सुनाय़ा करते थे। वैसे नेहरू जी का जन्म बचपन में एक अलग ही अंदाज में मनाया करते थे मोती लाल। नेहरू जी मोती लाल के इकलौते बेटे थे। जिन्हें मोती लाल एक राजा की तरह रखा करते थे। जिस दिन नेहरू जी का जन्मदिन हुआ करता था तो मोती लाल उन्हें तराजू में तौला करते थे। तराजू में एक तरफ नेहरू जी तो दूसरी तरफ बटे की जगह अनाज, कपड़े, मिठाई, रख कर तौला जाता था। उसके बाद वो अनाज, कपड़े आदि गरीबों में बांट दिए जाते थे। यह प्रकिया लगभग कई बार होती थी।      नेहरू जी की पढ़ाई लगभग इंग्लैंड में ही हुई। 13 मई 1905 में वो पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए और 1912 में भारत वापस लौटें। जिसके बाद उन्होंने अपने पिता के साथ वकालत करनी शुरु कर दी। 1916 में पिता मोतालाल ने इनका विवाह कमला कौल से नामक लड़की से कर दिया। सन् 1917 में नेहरू जी होम रूल लीग में शामिल हुए। जिसके बाद सन् 1919 में ये बापू के संपर्क में आए। जहां से नेहरू जी ने राजनीति में कदम रखा और 1920-22 के असहयोग आंदोलन में सक्रिय रुप से  हिस्सा लिया। इस दौैरान चाचा नेहरू कई बार जेल भी गए। सन् 1924 में  नेहरू जी  इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए। सन् 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में नेहरू  जी को राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया।  26 जनवरी 1930 में नेहरू जी ने लाहौर में स्वतंत्र भारत का तिरंगा फहराया था। नेहरू जी  1930 और 40 के दशक के आंदोलनकारियों के प्रमुख नेता थे। सन् 1942 से 1946 तक चाचा नेहरू अहमदनगर जेल में रहे। जहां उन्होंने "भारत एक खोज" नाम की किताब लिखी थी। जिसमें उन्होंने पूर् भारत का इतिहास लिखा है। 1947 में जब भारत अाजाद हुआ तो नेहरू जी देश के प्रथम प्रधानमंत्री बनाए गए। नेहरू जी ही वे व्यक्ति है जिन्होंने देश के लिए गुटनिरपेक्ष नीतियों की शुरुआत की। जिसका फायदा आज हमें मिल रहा है। 27 मई 1964 का वे दिन देश के लिए अंधकार लेकर आया और अचानक  नेहरू जी की मृत्यु हो गई। जब भी देश में राजनेताओं की बात होगीं तो चाचा नेहरू का नाम जरूर आएगा। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपने कलम को विराम देता हूं। 

                                           संपादक- दीपक कोहली

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