साहित्य चक्र

14 November 2016

-राष्ट्र निर्माता & देश के भविष्य-

 
चौदह नवंबर पूरे देश में बाल दिवस के रुप में  मनाया जाता है। बाल दिवस चाचा नेहरू की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। इसके पीछे भी कई तथ्य है। वैसे बाल दिवस की नींव 1925 में रखी गई थी। जिसे विश्व कांफ्रेस की ओर से बच्चों के कल्याण के लिए घोषित किया गया।  सन् 1954 में इसे पूरे विश्व में मान्यता प्राप्त हुई। जबकि संयुक्त राष्ट्र ने 20 नवंबर को बाल दिवस के रुप में मनाने की तिथि तय की थी। लेकिन आज बाल दिवस अलग - अलग देशों में अलग - अलग तिथि को मनाया जाता है। जबकि भारत ने इसे प्रथम प्रधानमंत्री चाचा नेहरू के जन्मदिन के रुप में मनाने की घोषणा की थी। वैसे कई विद्वान कहते है कि चाचा नेहरू बच्चों से बहुत ही प्रेम करते थे। जिससे उन्होंने बाल दिवस को अपने जन्मदिन के रुप में मनाने का फैसला किया था। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि चाचा नेहरू का ये सोचना था कि कहीं देश उन्हें न भूल जाए इसलिए उन्होंने इसे अपने जन्म दिवस के रुप में चुना था। यह दिन (बाल दिवस) इस बात को याद दिलता है कि हर बच्चा खास है और देश का भविष्य है। वैसे बाल दिवस इस लिए भी खास है क्योंकि यह दिवस हमें हमारा बचपन याद दिलाता है और देश को उसका भविष्य दिखता है। बाल दिवस उन नन्हें - मुन्ने के लिए मनाया जाता है जो भविष्य के सितारे होते हैं।  जब बाल दिवस की बात होती है तो मुझे वे बच्चे याद आते है जो सड़क के किनारे भीख मांग कर अपना पेट भरते हैं। क्या ये देश के भविष्य नहीं नहीं है..?  खै़र मैं कोई राजनीति या किसी व्यक्ति विशेष पर बात नहीं करना चाहता। बस इतना कहना चाहता हूं कि क्या इन बच्चों को पढ़ने का अधिकार नहीं  हैं। बाल दिवस तो बच्चों को समर्पित भारत का एक प्रमुख त्यौहारों में से एक है। वैसे बाल दिवस स्कूल के दिनों को ताजा कर देता हैं। जब बाल दिवस के मौके पर हम सज - धज कर स्कूल जाया करते थे और स्कूल में अपनी मौजूदगी का लौहा मनवाते थे। वैसे अाज भी बाल दिवस पूरे भारतवर्ष में बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। 
इस बाल दिवस के मौके पर इतना ही कहूंगा,  मेरे देश का भविष्य वर्तमान से बेहद अच्छा और खुशहाल हो।


                            संपादक- दीपक कोहली            
   

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