साहित्य चक्र

30 August 2016

बेटी बचाने निकला देश

                           - बेटी बचाने निकला देश - 


बेटी बचाने निकला मेरा देश।
बस शर्त इतनी है मेरे देश की,
बेटी अपनी नहीं, दूसरे की हो।।

बेटी बचाने निकला मेरा देश।
कहीं शोषण तो कहीं बलात्कार,
 हो रहा यहां पर सब माफ।।

बेटी बचाने निकला मेरा देश।
इसे मां चाहिए - बहन चाहिए,
लेकिन अपनी बेटी नहीं चाहिए।।


                                                  कवि- दीपक कोहली

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