साहित्य चक्र

25 August 2016

*हाथों में तिरंगा *

                       *हाथों में तिरंगा *


मेरे हाथों में तिरंगा हो, 
और होठों में गंगा हो।
यहीं मेरी अंतिम इच्छा है, 
कि मेरा भारत महान हो।।

मेरे आखों में देश छवि हो,
सांसों में यहां की हवा हो।
यहीं मेरी अंतिम चाहत है,
कि मेरा देश महान बने।।

मेरे होठों में हंसी हो,
औऱ हृदय में प्रित हो।
यहीं मेरा अंतिम सपना है,
कि मेरा देश रंगीला हो।।

मेरे कंधों में जिम्मा हो,
और सर पर कफन हो।
यहीं मेरा अंतिम ख्वाब है,
कि मेरा देश विजय हो।। 

                                                     कवि- दीपक कोहली

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