*गरीब का बेटा*
मैं गरीब का बेटा, मुझे कौन जानता है,
तू महलों की बेटी, तुझे दुनिया जानती है।
जब आए थे मेरी, अम्मी के आंखों से आंसू,
तब आहट सुनी थी, मैंने तेरे कदमों की ।।
ना जाने हम गरीबों के दुश्मन इतने क्यों,
ना जाने तुम्हारे चाहने वाले इतने कैसे।।
कसूर बस इतना है, मैं गरीब का बेटा हूं,
कसूर बस इतना है, तू महलों की बेटी है।।
खुदा भी छोड़ हम गरीबों को चला गया,
उसे भी अब महलों की आदत बन गई।।
कवि- दीपक कोहली
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