*कलयुगी कविता*
कवि- दीपक कोहली
तू भी दोनों हाथों से लूट। नहीं तो फिर पछताएगा,
जब पद जाएगा छूट।।
रहीमन भ्रष्टाचार का राज है,
तू भी नम्बर दो कमा ले।
नहीं तो ईमानदारी के सौदे में,
उठाना पड़ेगा बड़ा नुकसान।।
कबीरा जाने कहां खो गये,
सत्य-धर्म औऱ ईमान।
अब यहां इंसानों के भेष में,
घूम रहे है शैतान।।
नेताओं के आते-जाते,
अब जनता हुई परेशान।
करत-करत वादे-घोटाले,
ये होए धनवान ।।
कवि- दीपक कोहली
No comments:
Post a Comment