* माँ सरस्वती *
तुम हंसवाहिनी तुम सरस्वती,
तुम ही विद्दा - वाहिनी।।
तुम सुर - तुम विद्दा,
तुम ही संगीत वाहिनी।।
तुम ज्ञान - तुम विज्ञान ,
तुम ही मनोविज्ञान।।
तुम रूप -तुम सुन्दर,
तुम ही रूपवाहिनी।।
तुम शांति - तुम शीतल ,
तुम ही शांति- वाहिनी।।
तुम वीणा - तुम बांसुरी ,
तुम ही वीणा- वाहिनी।।
कवि- दीपक कोहली
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