वो सागर से गहरी ,तो
मैं सागर का किनारा।
वो कोई छोर नहीं, तो
मैं कोई चोर नहीं ।।
वो शहर की बस्ती, तो
वो शहर की बस्ती, तो
मैं गांव का जंगल।
वो शहर की रानी, तो
मैं जंगल का राजा ।।
वो फूलों की कली, तो
मैं फूलों का कांटा।
वो फूलों की रानी, तो
वो फूलों की रानी, तो
मैं फूलों का राजा।।
वो रिश्तों की डोर, तो
मैं रिश्तों का गांठ।
वो महलो की रानी, तो
मैं सड़को का राजा।।
वो मेरी चाॅदनी, तो
मैं उसका चांद।।
वो मेरी कविता, तो
मैं उसका कवि ।
कवि- दीपक कोहली
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