साहित्य चक्र

15 October 2016

लिखता हूँ एक कविता, कुछ लाइनों में....।।



लिखता हूँ एक कविता, कुछ लाइनों में,
एे मेरे वतन, तेरे उन जवानों के लिए।
जिन्होंने अपने सीना चीर दिया गोलियों से,
और नहीं आने दी तेरे अॉंगन में कोई दरार।।


मुझे भी शौक था तेरी रक्षा करने का, 
पर साथ नहीं दिया इस शरीर ने।
ऐ मेरे वतन उन जवानों की मेरा सलाम,
जिन्होंने तेरे लिए अपनी कुर्बान दी।।


उन पहाड़े & जंगलों में रहने का शौकीन था,
मैं भी, पर क्या बताऊ मॉं ने मुझे कबूला नहीं।
ऐ मेरे वतन उन जवानों को मेरा नमन,
जिन्होंने तेरे लिए अपना बलिदान दिया।

आग & पानी से खेलना चाहता था तेरे लिए
लेकिन उस खुदा को कबूल नहीं था मेरा यह खेल
जिसने बना दिया मुझे एक कवि और एक मेल
ऐ मेरे वतन तेरे उन जवानों को मेरा एक संदेश
जिन्होंने हमारे जान के लिए अपनी जान की बाजी 
लगाई है।

लिखता हूँ एक कविता, कुछ लाइनों में....।।

   

  कवि- दीपक कोहली 

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