माँ शारदे तुमको नमन,
अर्पित है भावों का सुमन
ज्ञान का आलोक तुझसे
बुद्धि का उत्थान हैं...
हे जगजननी! हे करुणानिधि!
जो शरन में तेरी आया,
पा गया उपकार हैं...
पीर हरती तू जगत के,
तू ही शक्ति, तू ही महान हैं...
मन सदा निर्मल रहे,
कृपा तेरी हर पल रहें
दीन-दुखियों का कल्याण हो,
सदा मन में तृष्णा की श्रद्धा जगे...
ज्ञान का अभिमान न हो,
साधना का दान दे
रहे जगजीवन सादा हमेशा,
ना कभी कोई लोभ रहें...
हम अज्ञानी और अल्पबुद्धि हैं,
हमारी प्रार्थना स्वीकार करो
चिंता सारी हर लो दुख का निवारण करो!
विश्व का कल्याण करो....
लेखिकाः प्रिया गुप्ता
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