छोटे से इस जीवन में दोस्त,
जगह मत देना, दिल में नफरत, को,
अल्लाह और ईश्वर की तरह,
बिना सोचे, बस प्यार करते रहो, सबको;
मुस्लिम हो तो एकदिन, कब्र में जाओगे,
हिंदू होकर तुम, जलकर राख हो जाओगे,
फिर इस रंजिश को पालकर दिल में,
क्या लगता है, कभी कुछ पाओगे ?
मुस्लिमों,
दूसरे मुल्क के जिंदाबाद से,
तुम्हे प्यार नहीं, बस हथियार मिलेगा,
अपने देश से मोहब्बत करके देखो,
तुम्हे दूसरे कौम का भी प्यार मिलेगा;
हिंदुओं,
छोटी बातों को मुद्दा बनाकर,
नफरत के गीत कब तक गाओगे,
अरे महादेव पूछेंगे की क्या अच्छा किए,
तो किस मुंह से, उनके सामने जाओगे;
इसलिए,
मिलकर पुरानी बातें,
चल ना भूल जाते हैं,
तुम होली का रंग खरीदना,
हम सेवइयां लेकर आते हैं।
लेखकः अमित रंजन
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