साहित्य चक्र

20 February 2022

कविताः रंग बिरंगी होली




रंग बिरंगी आज देखो  होली है आयी,
सबके चेहरे पे आज  खुशियां है छायी।

चाहूं ओर देखो कैसी हरियाली हैआयी,
सबने मिलकर देखो आज धूम मचायी।

सबको ये  होली  खुब है आज भायी,
राम रहीम के बंधे बने आज हमजोली।

एक दुजे संग देखो खेले आज है होली,
नफ़रत भुलाकर सब मिलते आज गले।

इन रंगों की तो बात है सबसे निराली,
जिसके आते भुल जाते सब अपने बैर।

रंग बिरंगी आज  देखो  होली है आयी,
सबके चेहरे पे आज  खुशियां है छायी।

हरा ,नीला ,पिला ,लाल ,गुलाबी, नारंगी
इन्द्रधनुषी रंगों की बौछार आज छायी।

एक -दुसरे संग करते हैं आज ठिठोली,
छुन्नु मुन्नू की देखो कैसी निकली है टोली।

रंग बिरंगी रंगों से भारी है सबने पिचकारी,
मिठाई से भी मीठी है आज सबकी बोली।

गोपियों संग रास रचाये आज गिरधारी,
इन्द्रधनुषी रंगों में जनता हुई मतवाली।

रंग बिरंगी आज देखो होली है आयी,
सबके चेहरे पे आज खुशियां है छायी।


                              लेखिकाः कुमारी गुड़िया गौतम


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