साहित्य चक्र

10 February 2022

कविताः चुनावों का दौर




आ गया भैया आ गया भैया, 
चुनाव पर दिन आ गए भैया,
 सब नेता एक दूसरे की टांग खिंचाई करेंगे,
 जनता को मूर्ख बनाने के दिन आ गए भैया,
 महंगाई बेरोजगारी अपराध के किस्से चलेंगे,
 आम जनता को पीसने के दिन आ गए भैया,
 नेताओं के वादे बिजली पानी मुफ्त होंगे, 
बच के रहना तुम इनके झांसे में ना आना रे भैया,
 लैपटॉप मोबाइल साइकिल मुफ्त मिलेगी,
 पर इनको चलाने के लिए बिजली न मिलेगी भैया,
 नकल करके पास हो रहे बच्चे,
 फिर भी गैया चराते हैं,
 वह प्रथम आ गए तो लैपटॉप लेकर गैया चराएंगे भैया,
 सबसे मजेदार बात है भैया, महिलाओं को आगे बढ़ाओ, 
कन्यारत्न लेकर आओ,
 फिर उनके साथ छेड़छाड़ व रेप करो,
 ऐसा वक्त आ गया भैया, 
आ गए भैया आ गए भैया,
 चुनाव के दिन आ गए भैया


                                          लेखिकाः गरिमा लखनवी


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