साहित्य चक्र

06 February 2022

मधुर स्वरों को लगा विराम, नहीं रही स्वर कोकिला

स्वर कोकिला, स्वर सम्राज्ञी, कोकिल कंठी, भारत कोकिला सहित कई नामों से विभूषित दुनिया की महान हस्ती भारत रत्न लता मंगेशकर का 6 फरवरी रविवार को 92 वर्ष की उम्र में मुंबई स्थित ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में अवसान हो गया। उनके निधन से संगीत के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। आज उनके निधन से संगीत के दीवानों में मायूसी का आलम है। संगीत के क्षेत्र में भारत रत्न लता मंगेशकर के अविस्मरणीय योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता। यह दिन उनके चाहने वालों को निराश करने वाला है।





लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 इन्दौर मध्यप्रदेश में हुआ। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक कुशल रंगमंचीय गायक थे। दीनानाथ ने लता जी को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे पाँच साल की थी। वर्ष 1942 में इनके पिता की मौत हो गई। इस दौरान ये केवल 13 वर्ष की थीं। नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और इनके पिता के दोस्त मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने इनके परिवार को संभाला और लता मंगेशकर को एक सिंगर और अभिनेत्री बनाने में मदद की। करियर में लता जी को सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव मिला। लता मंगेशकर ने एक हजार से अधिक हिन्दी फिल्मों में बेहतरीन गीतों को सुर दिया। उस समय के प्रसिद्ध संगीतकार अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, शंकर जयकिशन, एस. डी. बर्मन, आर. डी. बर्मन, नौशाद, मदनमोहन, सी. रामचंद्र इत्यादि सभी संगीतकारों ने आपकी प्रतिभा का लोहा माना। संगीत की दुनिया के इस सुहाने सफर को 6 फरवरी 2022 को पूर्ण विराम लग गया।

लता मंगेशकर ने संगीत के क्षेत्र में अपना अलग ही मुकाम स्थापित करते हुए अपना परचम फहराया। जिसकी बदौलत उन्हें संगीत के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए सैंकड़ों प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानति किया गया। लता मंगेशकर को तीन बार राष्ट्रीय फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। वहीं भारत सरकार द्वारा सन् 1969 में पद्म भूषण, 1999 में पद्म विभूषण एवं 2001 में भारत के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। उनकी संगीत साधना का यही सबसे बड़ा सम्मान और पुरस्कार था। लता मंगेशकर ने दुनिया भर में भारत का नाम रोशन किया। वहीं सन 1989 में दादा साहेब फज्ञल्के पुरस्कार, लाईफ टाईम एचीवमेन्ट अवार्ड सहित सैंकड़ों सम्मानों से सम्मानित किया गया। स्वर कोकिला लता मंगेशकर को महाराष्ट्र सरकार सहित कई राज्यों की सरकारों ने सम्मान दिया।


दुनिया भर में अपने मधुर स्वरों से मशहूर स्वर कोकिला लता मंगेशकर सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका रही। जिनका छह दशकों का कार्यकाल अनेकानेक उपलब्धियों से भरा पड़ा है। संगीत के क्षेत्र में बेजोड़ योगदान के लिए अनगिनत अवार्ड, सम्मान व विभूषण प्राप्त हुए। लता मंगेशकर ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में बड़ी तादाद में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये। परन्तु उनकी अमिट पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायिका के रूप में रही है। भारत रत्न लता मंगेशकर के निधन से भारतीय संगीत में अपूरणीय क्षति हुई है। संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जायेगा और उनके गाएं गाने सदियों तक आमजन की जुबान पर जिन्दा रहेंगे। लता मंगेशकर दैहिक रूप से अब हमारे बीच नही रही परन्तु उनके मधुर तराने हमारे बीच रहकर उनकी याद दिलाते रहेंगें।
लेखक- मुकेश बोहरा अमन


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