साहित्य चक्र

05 February 2022

कविताः वाहवाही





नितिन उसी की वाहवाही होती है
जिसमें सिर्फ इज्जत कमाई होती है 

नितिन उसी की वाहवाही होती है
जिसने ठेस ना किसी को पहुंचाई होती है

नितिन उसी की वाहवाही होती है
जिसने जिंदगी इमानदारी से निभाई होती है

नितिन उसी की वाहवाही होती है
जिसमें लड़के भाई और लड़कियाँ बहन बनाई होती हैं

नितिन उसी की वाहवाही होती है
जिसने चोट ना किसी को पहुंचाई होती है 

नितिन उसी की वाहवाही होती है
जिसने दूसरों के लिए नींद गवाई होती है 

नितिन उसी की वाहवाही होती है
जिसने अमीर होकर अमीरी ना दिखाई होती है 

नितिन उसी की वाहवाही होती है
जिसने घर ,परिवार ,समाज और देश की शान बढ़ाई होती है 

नितिन उसी की वाहवाही होती है
जिसने दूसरों के दुख में दुख और सुख में खुशी मनाई होती है 

नितिन उसी की वाहवाही होती है
जिसने सही का साथ और गलत पर उंगली उठाई होती है

नितिन उसी की वाहवाही होती है
जिसने कभी दिलों में आग ना लगाई होती हैं


                            लेखक- नितिन राघव


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