साहित्य चक्र

10 February 2022

जीवन निसार करती हूँ




तूझे देखूं तो सारा गम भूल जाती हूँ ,
तेरे बारे में सोचू तो बेचैन हो जाती हूँ,
तेरे यादों में ये राते कट जाती हैं ,
तेरे तस्वीर से अक्सर बातें करती हूँ ,

तुझे अपनी आँखों में सजा के रखती हूँ,
तुझे अपने दिल में छुपा के रखती हूँ ,
तू बात करे या न करे ये तेरी मर्जी हैं 
लेकिन मैं हरदम तुझे इजहार करती हूँ ,

अपने घर में तुझे हर -पल महसूस करती हूँ ,
तुझे खुद से कभी दूर न जाने दूंगी ये हैं वादा मेरा ,
तुझे मैं अपना सारा संसार मानती हूँ ,
तुझ पर अपना सारा जीवन निसार करती हूँ


                              लेखिकाः मनीषा कुमारी 


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