साहित्य चक्र

15 February 2022

कविताः इंसान और शैतान




शरीर एक सा ही है,
सत्य, स्नेह, शांति और भाईचारे में
विश्वास रखने वाला
'इंसान' हो जाता है
और
झूठ, घृणा, कलह और झगड़े में
विश्वास रखने वाला
'शैतान' कहलाता है।

चस्का एक सा ही है,
ईमानदारी से कड़ी मेहनत करके
कमाई करने वाला
'इंसान' हो जाता है
और
बेईमानी से गलत रास्ता चुन के
घर भरने वाला
'शैतान' कहलाता है।

रास्ता एक सा ही है,
सेवा और परमार्थ के रास्ते पर
चलने का धैर्य रखने वाला
'इंसान' हो जाता है
और
लालच और स्वार्थ के रास्ते की ओर
फिसलने की मंशा रखने वाला
'शैतान' कहलाता है।

भाव मन का ही है,
सबका भला चाहते हुए सह-अस्तित्व
व निर्माण की भावना रखने वाला
'इंसान' हो जाता है
और
सिर्फ अपना भला सोचते हुए
दूसरों के विनाश की सोच रखने वाला
'शैतान' कहलाता है।


                                लेखकः जितेन्द्र 'कबीर'



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