जिस तेजी से हमारे देश में यौन अपराध और रेप, महिला उत्पीड़न इत्यादि घटनाएं हो रही है। उससे एक बात का अंदाजा साफ-साफ लगाया जा सकता है कि हमारा देश महिला उत्पीड़न और यौन अपराध जैसी घटनाओं के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। आज हम एक आधुनिक दुनिया में है और कई तकनीकी चीजों से हम परिपूर्ण हो चुके हैं। इसके बावजूद भी हमारे भारतीय समाज में महिला उत्पीड़न और हिंसा जैसी घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही है।
यह विषय हम भारतीयों के लिए बेहद सोचनीय और विचारणीय है। महिला उत्पीड़न और हिंसा का शिकार अशिक्षित और घरेलू महिलाएं ही नहीं बल्कि पढ़ी लिखी और शहरों में रह रही महिलाएं भी हो रही। हर रोज अखबारों में रेप, महिला हिंसा और उत्पीड़न खबरें छपी है। कभी आरोपी को देश का भविष्य बता कर छोड़ दिया जाता है तो कभी आरोपी की जाति देखकर रिहा कर दिया जाता है।
इतना ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर एक दूसरे के धर्म की महिलाओं का रेप, अहिंसा और उत्पीड़न करने जैसी धमकियां हर रोज पोस्ट होती है और सोशल मीडिया पर महिलाओं को गंदे गंदे कमेंट और इनबॉक्स में आकर गंदी गंदी फोटो इत्यादि भेज कर परेशान किया जाता है। सोशल मीडिया का जितना हमारे समाज में अच्छा प्रभाव नहीं हुआ है, उससे अधिक हमारे समाज में सोशल मीडिया का बुरा प्रभाव हुआ है। सोशल मीडिया के कारण कई महिलाओं ने अपनी जान दी है और कई महिलाओं का यौन शोषण और मानसिक शोषण हुआ है।
हमारे देश में महिला उत्पीड़न जैसी घटनाओं पर भी जाति, धर्म की राजनीति की जाती है। जहां ऊंची जाति के किसी महिला के साथ रेप या यौन उत्पीड़न जैसी घटनाओं पर पूरे देश में आक्रोश और न्याय की आवाज उठती है, तो वही किसी मुस्लिम और अन्य जाति धर्म के महिला के साथ रेप जैसी घटनाओं पर सन्नाटा पसर जाता है। आखिर हमारे देश और समाज का एक जैसी घटना पर यह दोहरा चरित्र क्यों ?
एक सुरक्षित राष्ट्र का निर्माण तब तक नहीं हो पाता है, जब तक वहां की महिलाएं अपने आप में पूर्ण रूप से सुरक्षित महसूस ना करें। हमारे देश में महिलाओं में भी धर्म, जाति का भूत इस प्रकार से सवार है, जिसका आप और हम अंदाजा तक नहीं लगा सकते हैं। कई महिलाएं धर्म और धार्मिक मान्यताओं के कारण अपने पति या पुरुषों का अत्याचार चुपचाप सहती रहती है और कई महिलाएं दूसरे धर्म, जाति की महिलाओं के लिए फेसबुक व अन्य सोशल मंच पर खूब गन्दी गन्दी गालियां और नफरत फैलाती रहती है।
महिला उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न जैसी घटनाओं के लिए सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं भी जिम्मेदार है। हम सभी लोगों को यौन उत्पीड़न और महिला उत्पीड़न जैसी घटनाओं के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए, तभी हम एक अच्छे समाज और राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं अन्यथा आज किसी दूसरे की मां, बहन, बेटी शिकार हो रही है तो कल को आपका और हमारा नंबर भी आ सकता है।
आइए महिला उत्पीड़न और यौन हिंसा जैसी घटनाओं के खिलाफ आवाज उठाकर अपने समाज में जागरूकता फैलाते हैं। 'नर-नारी हम सब समाज के अधिकारी' के नारे के साथ शपथ लेते हैं कि हम अपने घर और आसपास में हो रहे महिला उत्पीड़न और हिंसा इत्यादि घटनाओं पर आवाज उठाएंगे और समाज को जागरूक करेंगे।
हमारे और आपके द्वारा उठायी गई आवाज से ही सरकार और सत्ता में बैठे लोगों के कान खुलेंगे, जिससे सख्त कानून बनेंगे और आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा होगी। बस हर महिला उत्पीड़न, हिंसा इत्यादि घटनाओं पर आवाज उठाते रहिए।
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