किसी मूरत से भी ज्यादा खूबसूरत हो तुम,
शैली जैसी पागल की जरुरत हो तुम।
एक आह सी निकलती है जिधर देखते हो तुम।।
दिल को सुकून मिल जाता है जब बोलते हो तुम,
फूल से झड़ते है जब मुस्कुराते हो तुम।
झरना सा बहता है जब गुनगुनाते हो तुम।।
क्या क्या तारीफ तुम्हारी करें,
हर तरफ से हंसी मुझे लगते हो तुम।
एक देवता के जैसे मुझे दिखते हो तुम।।
लेखिकाः सीमा मौर्या
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