पिताजी कहते थे
राह हो कठिन
विपरीत हो वक़्त
चाहे काली अंधेरी रात हो
सुबह की उम्मीद रख
तू हौसला रख , हौसला रख।
पिताजी कहते थे
इस रंग बदलती दुनिया मे
तू भी अपना एक रंग रख
आवेश के घोड़ो की लगाम
अपने हाथों में रख
वक़्त ही तो है बदल जायेगा
तू हौसला रख , हौसला रख।
पिताजी कहते थे
नाज़ुक रिश्तों को
तिजोरी में रख
रूट जाए अगर अपने तो
मनाने का दम रख
तेरे अपने ही तेरे
जीवन की दौलत है
इन से ना कभी फ़ासला रख
तू हौसला रख , हौसला रख।
पिताजी कहते थे
अपने कर्मो को इबादत की
तरह पवित्र रख
बंजर भूमि में भी हरियाली आयेगी
ऊपर वाले पे भरोसा रख
तू हौसला रख , हौसला रख।
पिताजी एक दिन
काली अंधियारी रात में
छोड़ कर चले गए
यादों में रहैंगे ज़िन्दगी भर
सफर तू निरन्तर जारी रख
तू हौसला रख , हौसला रख।
कविः कमल राठौर साहिल
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